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टूटे इतिहास का एक पंख, कैसे उडे़?
तुम्हारे चेहरे की मूर्ति हम कितनी बना सकते हैं,
बीती हुई बातें बताने के लिए
भरे हुए की जीभ से नहीं कहला सकते हैं
चिता की बची हुई राख में हवा न लगे कि वह उड़ जाए
मृत देह को रखने वाले बक्स में बचा हुआ खुज्जा किसी ने हाथ न लगे
कि वह बेनिशान हो जाय
साँसों में यादे तड़पती हैं जल क्यों नहीं जाती है?
इतिहास शोक की स्याही में
कलम सोच के होश में चलाता है
शोक के गीत से इतिहास कैसे पूरा होगा?
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